आज के दौर हर कोई चाहता है कि वह अधिक से अधिक पैसा कमाए। अधिक पैसा कमाने के लिए लोग नौकरी के साथ – साथ बिजनेस करने के बारे में सोचते हैं। जो कारोबारी होते हैं वह अपना कारोबार बढ़ाने के बारे में विचार करते हैं। बिजनेस में अधिक वैराइटी रखते हैं। कई कारोबारी अपने कारोबार के नाम पर ही किसी और लोकेशन पर अपनी ब्रांच खोलते हैं।
लेकिन अधिक संख्या उन लोगों की है जो नौकरी करते हैं और अधिक कमाई के लिए साइड बिजनेस करना चाहते हैं। यह ठीक भी है। कई ऐसे बिजनेस हैं जिसे नौकरी के साथ करके साइड बिजनेस से
इनकम बनाई जा सकती है।
लेकिन अधिक संख्या उन लोगों की है जो नौकरी करते हैं और अधिक कमाई के लिए साइड बिजनेस करना चाहते हैं। यह ठीक भी है। कई ऐसे बिजनेस हैं जिसे नौकरी के साथ करके साइड बिजनेस से
इनकम बनाई जा सकती है।
नौकरी के साथ जो बिजनेस किया जा सकता है वह निम्न है:
ग्रोसरी (किराने की दुकान) की दुकान
आजतक ऐसी कोई किराने की दुकान नहीं होगी जो चलती नहीं होगी। यानी किराने की दूकान चलती ही चलती है। इसके पीछे बड़ा कारण है कि लोगों को जब दैनिक उपयोग की चीजों की जरूरत पड़ती है तब वह किराने की दूकान पर ही जाते हैं। किराने की दूकान स्टार्ट करने का एक बड़ा कारण है कि किराने की दूकान घर की जगह में भी शुरु किया जा सकता है। जहां तक नौकरी के साथ किराने की दूकान शुरु करने के पीछे कारण है कि डियूटी से वापस आने के बाद शाम में चलाया जा सकता है।
अगर घर में कोई उपलब्ध है तो वह भी दूकान संभाल सकते हैं। छुट्टियों में पुरे दिन का समय दूकान पर दिया जा सकता है। इस तरह हम देखें तो नौकरी के साथ किराने की दूकान का बिजनेस सबसे बेहतरीन विकल्प होता है।
अगर घर में कोई उपलब्ध है तो वह भी दूकान संभाल सकते हैं। छुट्टियों में पुरे दिन का समय दूकान पर दिया जा सकता है। इस तरह हम देखें तो नौकरी के साथ किराने की दूकान का बिजनेस सबसे बेहतरीन विकल्प होता है।
टेंट हाउस का बिजनेस
शादी, जन्मदिन, राजनितिक कार्यक्रम इत्यादि के लिए टेंट हाउस बुक किया है। एक बार टेंट की सामान खरीदने के बाद उसका उपयोग हमेशा होता है। यानी टेंट हाउस का बिजनेस चलाने में वन टाइम इन्वेस्टमेंट होता है और मुनाफा आल टाइम होता है।
जहां तक टेंट हाउस का बिजनेस नौकरी के साथ करने का सवाल है तो टेंट हाउस का बिजनेस नौकरी के साथ बहुत आसानी से किया जा सकता है। इसके लिए पुरे दिन दुकान पर नहीं बैठना होता है। टेंट हाउस में ऑर्डर बुक करना होता है। अगर कोई व्यक्ति दूकान पर बैठाना चाहें तो बैठा सकते हैं। वह ऑर्डर बुक करता रहेगा। अगर कोई बंदा न रखना चाहे तो दुकान वाली जगह पर बुकिंग की टाइम और दिन लिख सकते हैं। लिखकर यह बता सकते हैं कि बुकिंग किस – किस दिन, कितने से कितने समय तक होती है। इसी के साथ मोबाइल नंबर दिया जा सकता है जिससे कि जरूरत पड़ने पर ग्राहक संपर्क कर सकें। जब बिजनेस धीरे – धीरे चलने लगे तो बिजनेस का विस्तार करने के बारें में भी विचार किया जा सकता
है। अगर व्यक्ति के पास इतनी पूंजी नहीं है कि वह बिजनेस का विस्तार खुद के पैसों से कर सकें तो उन्हें बिजनेस लोन लेने से पीछे नहीं हटना चाहिए। आज के समय में सरकारी – प्राइवेट बैंकों के अलावा बड़ी संख्या में नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी –एनबीएफसी कम्पनियां हैं जहां से बिजनेस बढ़ाने के लिए बहुत आसानी से बिजनेस लोन मिल जाता
है।
ट्रेवेल एजेंसी शुरु करना
इस भागमभाग वाली जिंदगी में हर किसी को जल्दी से अपने गंतव्य पर पहुंचना होता है. लोग अब दूसरी जगहों पर छुट्टियां मानाने जाते हैं. ऐसे में लोग या तो खुद के साधन का उपयोग करते हैं या किराए पर गाड़ी बुक कराते हैं। पिछले 5 सालों में ओला और ऊबर ऑनलाइन टैक्सी सर्विस शुरु हुई है. ऑनलाइन टैक्सी शुरु होने के साथ ही ट्रेवेल सेक्टर में उछाल देखने को मिला है. ओला या ऊबर एक सर्विस प्रोवाइडर है. इन कंपनियों की कोई खुद की गाड़ी नहीं होती है। ऐसे में कोई नौकरी करने वाला व्यक्ति गाड़ी खरीद करके ओला या ऊबर में अटैच करवा दे और एक ड्राइवर रख ले तो घर बैठे एक अतिरिक्त इनकम का इंतजाम हो सकता है। ओला ऊबर के अतिरक्त ट्रेवेल एजेंसी भी शुरु की जा सकती है. ट्रेवेल एजेंसी में टूर, दूसरी सिटी में ट्रांसपोर्टेशन करने का काम किया जा सकता है. ट्रेवेल एजेंसी भी नौकरी के साथ शुरु हो सकती है। ट्रेवेल एजेंसी शुरु करने के लिए यह जरूरी नहीं होता है खुद की गाड़ी खरीदना पड़े, बल्कि अन्य मोटर मालिकों से संपर्क करके उनकी गाड़ी अपने ट्रेवेल एजेंसी में जोड़ी जा सकती है। जब कोई बुकिंग आये तो उपलब्ध गाड़ी को बुक किया जा सकता है. इस तरह देखा जाये तो नौकरी के साथ ही कम रिसोर्स में भी ट्रेवेल एजेंसी शुरु हो सकती है।
Umesh Singh
umesh.singh@ziploan.in
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