दुर्ग में भी पिछले एक सप्ताह से सुबह-सुबह ओस की बूंदों से बनी प्राकृतिक छटा देखते ही बन रही है।
कहीं प्रकृति की गोद में मोतियों की नवलखा हार से श्रृंगार कर इठलाती वसुंधरा तो कहीं मोतियों की लटकन लगाए शोभित पेड़ पौधे तो कहीं झालरों से सजा मंडप सा दृश्य सहित विविध रंग काफी मनमोहक लग रहा था।
इन मनमोहक दृश्यों का कुछ हिस्सा एक स्थानीय अखबार के सीनियर रिपोर्टर और हमारे मित्र रोमशंकर यादव ने अपने मोबाइल कैमरे से कैद किया।
उन्होंने पूरी दृश्य ही मनमोहक दिखलाते हुए इसमें से दो से ज्यादा फोटो डालने की कोशिश करने कहा। ताकि सभी इन दुर्लभ दृश्य का आनंद ले सके।
ये देखिए -
हमने इस बेहद बेमिसाल प्रकृति के अदभुत दृश्य का सभी फोटो आपके साथ शेयर करने का प्रयास किया है।
दुर्ग के पीआरओ और हमारे मित्र प्रभाकर जी भी कहते हैं -
ये फोटोज देखकर यकीन हो गया कि हर किसी को हर चीज का परख नही हो सकता।
जैसे डॉक्टर कितना भी बड़ा क्यो न हो हार्ट का आफरेश भले ही कर ले लेकिन लकड़ी में बढ़ाई का काम कदापि नहीं कर सकता।
इंजीनियर कितना भी व्यख्यात क्यो न हो साधारण लोहार का काम नही कर सकता।
वैसे ही किसी खूबसूरत नजारे या दृश्य को कोई एक पत्रकार या फोटोग्राफर ही सहेज कर जीवटता दे सकता है।
ऐसे अदभुत फोटोज को देख हम भी दिल से कायल हो गये और यहाँ प्रस्तुत कर दिए हैं।
घनश्याम बैरागी
भिलाई छत्तीसगढ़
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