आज का हिंदी आर्टिकल प्रकृति पर आधारित है:
धरती संसार का सबसे सुन्दर गृह है । धरती की सुंदरता उसमे बसी हुई प्रकृति है जिसकी गोद में हमने बैठकर अद्भुत आनंद प्राप्त किया है । प्रकृति ने धरती को सुन्दर बनाने में एक अहम् योगदान दिया है । प्रकृति में शामिल जल, हवा, हरियाली, वन-उपवन, पर्वत सभी प्रकृति को एक अतुलनीय सुंदरता प्रदान करते हैं । उस सुंदरता को निहारते हुए हम एक असीम आनंद की प्राप्ति करते हैं । ये आनंद कहीं और नहीं मिलता ।
किन्तु, इसके उपरांत भी मानव ने विकास को तवज्जो दी है । विलासितापूर्ण विकास की अंधी दौड़ हमें कब प्रकति की गोद से दूर खींच लायी इसका तनिक भी एहसास न हुआ । ये बड़ी बड़ी इमारतें, हवेली, महल इन आंखों को वह आनंद प्रदान नहीं करते जो प्रकृति प्रदान करती है । शहर में रहते हुए जिसने समय बिताया हो यदि किसी कारण से गांव चला जाये तो वह प्रकृति का गुणगान करता हुआ दिखाई देगा । इसी प्रकृति की गोद में बैठकर अनेक कवियों ने इसकी सुंदरता का वर्णन किया है । आज हम भोग विलास और अपनी आकांक्षओं को पूरा करने के लिए प्रकृति को भूल जाते हैं । ये कैसे दिन बना लिए हैं हमने की प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेने के लिए हमे टूरिस्ट बनकर विभिन्न स्थानों में जाना पड़ता है । आधुनिकता के जंजाल में ऐसे फसे की अपने स्वाथ्य को ही भूल गए। जो स्वच्छ हवा हमे कभी जीवन प्रदान करती थी आज वही हवा हमारे लिए जहरीली साबित हो रही है । आखिर हम चाहते क्या हैं ? मनुष्य की आयु घटना कोई अचम्भा नहीं है । ये प्रमाण है हमारी गलतियों का । समय से पहले बालों का सफ़ेद होना, बालों का झड़ना आँखों की रौशनी कम होना । यही प्रमाण है हमने कितना नुक्सान पहुँचाया है प्रकृति को। प्रकृति ने हमेशा हमे कुछ न कुछ दिया है लेकिन बदले में हमने सिर्फ उसको नुकसान पहुॅचाया है। फल-फूल, जल, आकाश, पर्वत, हरियाली सब कुछ तो है इस प्रकुति में। इसी प्रकृति में जड़ी बूटियो के रूप में हमारा जीवन छुपा हुआ है। वर्श 2015 में लातूर नामक स्थान पर जल का अकाल पड़ा था। नदियॅा, तालाब सब सूख चुके थे। हमने देखा वहॉ जल आपूर्ति का कोई साधन नही मिल रहा था इसी कारण से पूरा देश प्रभावित हुआ था। लोगों को वहॉ पीने को मिला भी तो सिर्फ गंदा पानी। जिससे लोगो की किडनिया खराब हुई और उससे कुछ मौते भी हुई। इसमे कोई अतिशयोक्ति नही यदि आने वाले वर्षों में पूरे विश्व में व्याप्त हो जाये। आज हमे प्रण लेना चाहिए कि प्रकृति ने जो हमे संपत्ति उपहार स्वरूप दी है हम उस संपत्ति का और क्षय नही होने देंगे। विकास समय की मॉग है पर इस कीमत मे नही कि जिंदगी जीने के लिए औषधि के सहारे रहना पड़े।
__________________________________
लेखक - केशव कुमार पांडेय
फेसबुक प्रोफाइल - https://www.facebook.com/iamkeshav90
मोबाइल - उपलब्ध नहीं
पूरा प्रोफाइल - उपलब्ध नहीं
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें