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धर्म की परिभाषा अपनी-अपनी क्यों ? #ajaydevgn

#BhujThePrideOfIndia #AjayDevgn Hindi Article


आज जब किसी एकांत स्थान में शांत मन से चिंतन करने बैठो तो कई प्रश्न हैं जो अंदर तक कचोटते हैं | समझ नहीं आता क्या सही है क्या गलत ? चाहे वो सुबह का अखबार हो, टीवी हो या ऑनलाइन न्यूज़ Websites हों | सब जगह धर्म के नियमो की नयी व्याख्या सुनाई पड़ती है | हम सड़क पर हनुमान चालीसा पढ़ेंगे | हम सड़क पर नमाज़ पढ़ेंगे | अजय देवगन ने हाफ जीन्स पहनकर मंदिर में पूजा क्यों की ? तमाम ऐसे प्रश्न है, जिन्हे देख सुनकर बड़ा दुःख होता है | समझ नहीं आता किसे क्या कहें ? किसे समझाएं ? वर्तमान की समस्या ये है की कोई कुछ सुनना नहीं चाहता | प्रत्येक व्यक्ति मारने मिटने, गाली गलोच के लिए तैयार रहता है | 


लेकिन इन प्रश्नो का क्या जो रोजाना एक नया सवाल खड़ा करते हैं | धर्म क्या है ? क्यों हम उसे अपने हिसाब से तोड़ते मरोड़ते हैं ? जो हमें सही लगता है उसे ही धर्म का नियम क्यों बनाएं ? क्यों धर्म के नियमो को हम अपने हिसाब से ढालते हैं ?

असल में हम लोग सबसे बड़ी डेमोक्रेसी, विचारों का खुलापन, मॉडर्न होना इन सब का फायदा उठाते हैं | किसी विषय वास्तु की जानकारी न होते हुए भी अपने आप को बहोत सुलझा हुआ दिखाना | जो हम सोचते है वही सही है | ऐसा साबित करने का प्रयत्न करते हैं | प्रत्येक व्यक्ति नेता बनना चाहता है | आखिर हम साबित क्या करना चाहते हैं ? 


एक नया मुद्दा उठा जब अजय देवगन ने मंदिर में हाफ जीन्स के साथ टी-शर्ट पहन के पूजा अर्चना की | में एक बार को मान भी लूँ  की अजय देवगन गलत है पर क्यों ? पूजा पाठ अपने ईश्वर से जुड़ने का एक माध्यम है जिसके द्वारा हम उसके किये गए उपकारों का आभार व्यक्त करते हैं, विनती करते हैं, सहायता मांगते हैं | लेकिन जब पूजा पाठ की बात आती है तो सबसे पहले स्नान कर व्यक्ति स्वच्छ होता जो की पूजा पाठ का पहला नियम है | और जब पहला ही नियम हम तोड़ कर सड़क में बैठ कर हनुमान चालीसा पढ़ते हैं, तो हम कौन से नियम का पालन कर रहे होते हैं | सड़क कोई साफ़ स्थान नहीं है | लाखों लोगों का आवागमन होता है | आते जाते लोग थूकते है मूत्र विसर्जन करते हैं, कचरा फेकते हैं | फिर आखिर हम क्यों सड़क पर बैठ कर हनुमान चालीसा  का पाठ करते हैं | में मुस्लिम धर्म के विषय में नहीं जानता इसलिए उनकी सड़क पर बैठ कर नमाज पढ़ने की विधि सही गलत साबित नहीं कर सकता| लेकिन हां सड़क का आवागमन रोकना चाहे वह बारात हो, नमाज़ हो , हनुमान चालीसा हो या किसी भी प्रकार का कार्यक्रम जिसमे लोगों को आते जाते मुसीबत झेलनी पड़े वह गलत है | 

अब बात करें अजय देवगन की तो अजय देवगन ने तो स्वच्छ होकर ईश्वर की पूजा अर्चना की | मंदिर के अंदर की है | कम से कम अजय देवगन ने उनसे तो अच्छा ही किया जो लोग गंदे स्थान पर बैठ कर पूजा विधि का अपमान कर रहे हैं | और वैसे भी पूजा का नियम है शरीर में वस्त्र होने चाहिए, चमड़े की वस्तु साथ में न हो, जूते चप्पल न हो | तो फिर अजय देवगन गलत कैसे ?  

असल में हम लोग धर्म और उसकी पद्धतिओं के मायने अपने हिसाब से तय करते हैं | हमें जो सही लगे वही सही है | वही धर्म है | ऐसे में हम सिर्फ अपना ही नहीं आने वाली पीढ़ीओं के लिए भी गड्ढा खोद रहे हैं | क्योंकि आने वाली पीढ़ी हम से भी दस कदम आगे होने वाली है | हम घटने वाली घटनाओ का चिंतन नहीं करते | हम सोशल साइट्स, टिक टोक, क्रिकेट में सट्टेबाजी, राजनीति में इतने व्यस्त हैं की समय होते हुए भी हमारे पास चिंतन करने का समय नहीं है | एक बार सोचना और कमेंट जरूर करना में कितना सही हूँ | अच्छा लगे  तो शेयर जरूर करना | 


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लेखक - केशव कुमार पांडेय 
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