कौन बनेगा करोड़पति शुरू होने वाला है…और सामने हैं सृजन घोटाला । इसीलिए, उसी तर्ज़ पर पूछती हूँ, । प्रश्न है, बिहार के विकास को किसने रोका? किसने लूटा ? आपके सामने चार ऑप्शंस हैं…. शिक्षा माफिआ ने, जातिवाद ने, डॉक्टरों ने या भर्ष्टाचार ने ?
उत्तर चौकाने वाला है. क्योकि ये चारों ऑप्शंस सही हैं।
बिहार को सबने मिल के लूटा है। चारों ने विकास के चारों हाथों पैरों को पकड़ लिया और नेता ने पीछे से एक लात मारी। बिहार का विकास चारों खाने चित ! चूँकि लात नेता ने मारी तो बदनाम बेचारा नेता हो गया। लूटा तो सबों ने मिल के है !
सवाल का जवाब थोड़ा छोटा है, इसीलिए इस मुद्दे पर फोकस डालना ज़रूरी है। बिहार को शिक्षा माफिआ ने इस कदर बदनाम किया कि सही प्रतिभाशाली विद्यार्थियों की डिग्री का माखौल बन रहा है । डिग्री घोटाले में धरपकड़ अभी चल ही रही थी की टौपर घोटाला सामने आ गया!
यहां जातिवाद लोगों की रगों मे है । चुनाव में नेता चाहे कितना भी तगड़ा हो, जनता उसी को वोट देती है, जो उसकी जात का है.
भ्रष्टाचार का आलम ये है, की सरकारी अधिकारी, कर्मचारी, ठेकेदार सब मिल के खाते हैं. और उसके बाद जो चीज़ बनती है वो बनते-बनते ही टूटने लगती है. फिर चाहे वो पुल हो या सड़क। डॉक्टर इस कदर मरीज़ को लूटते हैं, की वो कंगाल बन जाता है।
आप एम्स मे जा कर देखें, 75% मरीज बिहारी होते हैं और अंतत ‘ऐम्स’ में जा के इलाज करवाता है। एक नमूना देखें की हड्डी वाले डॉक्टर का तीसरी मंजिल पर अपना क्लिनिक है. उसकी फीस ७०० है लेकिन नीचे उतर कर मरीज को देखने की फीस १००० रूपये हैं। टूटी हुयी हड्डी की वजह से मरीज़ ऊपर जा नहीं पाता, डॉक्टर साब नीचे उतरते हैं और १००० रुपये फीस वसूल के ऊपर चले जाते हैं। वैसे उनके आलिशान मकान में लिफ्ट नही है पर पोर्टिको के ऊपर तक गाडी जाती है. लेकिन ठेला नहीं जा पाता है।
इस प्रतियोगिता मे कोई इनाम नहीं है… ईनाम के बदले है धमकी ! ज्यादा फटर फटर किये तो घर में घुस के मारेंगे ।
अपने बारे में-
गृहणी हूं, हिंदी विषय से एम ऐ किया है।
पचास की उम्र से लिखना शुरू किया,
बच्चों को उंगली पकड़ के चलना सिखाया था।
अब बच्चों ने माउस पकड़ा कर वेब संसार का रास्ता दिखा दिया ।
Nice article
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