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भगवान राम के चरित्र से ही कुछ सीख ले लें उन्मादी युवा | Lekhak Ki Lekhni

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महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण में भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम राम बताया गया है। यदि श्रीराम जी के जीवन पर नजर डाली जाए तो उनके आचरण में हमेशा ही पवित्रता देखने को मिलेगी। भगवान राम ने तो मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता यहां तक की पत्नी का साथ भी छोड़ा और समाज के लिए आदर्श बन गए।

भगवान राम के इस चरित्र का उनके भक्तों पर क्या कोई प्रभाव नहीं पड़ा जो उन्हीं के नाम पर आज देश में जगह-जगह गैर समुदाय के लोगों से जय श्रीराम के नारे लगवाए जा रहे हैं इतना ही नहीं इन कथित भक्तों द्वारा उस महान विभूति के नाम पर जगह जगह हिंसाएं भी हो रही हैं।

इसी साल मोदी जी की नई 2.0 सरकार में भी अभी तक ऐसी अनेकों घटनाएं सामने आ चुकी हैं।

अभी जून में दिल्ली के एक मदरसा टीचर को जय श्री राम बोलने को कहा गया। टीचर मोहम्मद मोमिन द्वारा ऐसा ना कहा जाने पर उसे कार से टक्कर मारकर घायल कर दिया गया।

इसी तरह 29 जून को कानपुर के बर्रा इलाके में 16 वर्ष के युवक ताज को उस वक्त बुरी तरह पीटा गया जब वह मस्जिद से नमाज पढ़कर वापस घर लौट रहा था। वहां के पुलिस चौकी प्रभारी सतीश कुमार सिंह ने बताया कि कुछ बाइक सवार युवकों ने ताज से जय श्री राम कहने को कहा और ना कहने पर उसकी जमकर पिटाई की।

अभी हाल ही में 21 जुलाई को महाराष्ट्र के औरंगाबाद से खबर सामने आई जिसमें दो युवकों से जय श्री राम के जबरन नारे लगाने को कहा गया और ऐसा ना करने पर धमकाया गया यह वहां तीन दिनों में इस प्रकार की दूसरी घटना थी।

ऐसे ही बागपत में एक मौलाना इमला-कुर-रहमान की जबरन दाढ़ी नोच ली गई और उन्हें तो उन्मादी युवकों ने यह तक कह दिया कि अगर भारत में रहना है तो जय श्री राम के नारे लगाने ही पड़ेंगे।

सवाल यह है कि किसी भीड़ द्वारा यदि दूसरे समुदाय के व्यक्ति से जबरन जय श्री राम कहलवाया जाएगा तो इसका लाभ क्या होगा? क्या इतना कह देने मात्र से ही उस व्यक्ति का हृदय-धन परिवर्तन हो जाएगा या भगवान श्री राम के प्रति उस व्यक्ति में आस्था जागृत हो जाएगी। मुझे नहीं लगता की ऐसा कुछ भी होगा और बल्कि उन लोगों के प्रति स्वभावतः असंतोष की स्थिति उत्पन्न हो जायेगी।

जय श्रीराम का नारा लगवाने वाली भीड़ को एक बार भगवान श्री राम के जीवन व उनके चरित्र से कुछ सीख अवश्य ले लेनी चाहिए। भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम राम की संज्ञा दी गई है और उन्हीं के नाम पर अमर्यादित हो जाना आख़िर कहां का न्याय है?

नवाज़ अनवर खान

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