राजनेताओं में अगर दृढ इच्छा शक्ति हो तो आमजन से जुड़ा कोई भी कार्य मुश्किल नहीं है इस बात को योगी आदित्यनाथ ने कर दिखाया है। सत्ता संभालते ही योगी ने एक के बाद एक कई ऐसे फैसले लिये हैं जो जनता के हित में हैं। उनमें से कुछ फैसले इतने साहसिक भी हैं, ऐसा ही एक फैसला अम्बेडकर जयंती के अवसर पर उन्होंने लिया कि महापुरुषों के नाम पर छुट्टियों को निरस्त किया जायेगा। यह फैसला साहसिक इसलिए है क्योंकि महापुरुषों के नाम पर घोषित छुट्टियों के पीछे की वजह सीधे-सीधे जातिगत राजनीती है। जो राजनेता इस तरह के फैसले लेते हैं उन्हें वास्तव में जनता का हितैषी नहीं कहा जा सकता। हमारे यहां पहले ही भिन्न-भिन्न त्यौहारों व पर्वों के नाम पर ढ़ेर सारे दिन बिना कामकाज के निकल जाते हैं ऊपर से महापुरुषों के नाम पर छुट्टियों ने हर किस्म के कार्यों को बाधित किया हुआ है। जिन महापुरुषों के सम्मान में हम ये छुट्टियां मनाते हैं उन्होंने कभी ये संदेश नहीं दिया कि छुट्टी मनाकर ही हम उन्हें याद करें। बेहतर तो यह होगा कि उनके जैसी कर्मठता, निष्ठा व ईमानदारी हम स्वयं में आत्मसात करें और यह तभी संभव है जब हम उनके बताये मार्ग पर चलेंगे। योगी का यह कहना बिल्कुल सही है कि छुट्टी की बजाय स्कूलों में महापुरुषों के विषय में जानकारी दी जाये और उनके जीवन से प्रेरणा ली जाये। बात जहां तक महापुरुषों की है तो वर्ष में इतने दिन नहीं होते हैं जितने की हमारे महापुरुष हैं। यदि इसी तरह हम महापुरुषों के नाम पर छुट्टियां करते रहे तो पूरा का पूरा साल ही छुट्टियों की भेट चढ़ जायेगा।
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