आत्महत्या करना घोर पाप है किन्तु आत्महत्या को बढ़ावा देना उससे भी बड़ा पाप है। सुना तो है कलियुग चल रहा है। पर हम पाप को रोकने के बजाये उसे कलियुग का नाम देकर चला रहे हैं। धार्मिक ग्रंथों में आत्महत्या को पाप बताया गया है। हमारे धार्मिक ग्रंथों में कलियुग के लक्षणों का वर्णन है। किन्तु लिखते समय अंदाजा भी नही रहा होगा कि आत्महत्या का महिमामंडन हो सकता है। इसके लिए प्रोत्साहन राशि भी मिल सकती है।
मै मानता हॅू राजनीतिक दल है तो राजनीति तो होगी किन्तु सेना और आत्महत्या को लेकर राजनीति। आत्महत्या चाहे किसी भी तबके या समाज से जुड़े व्यक्ति की हो निंदनीय है। ये किसी भी स्तर पर स्वीकार नही है। आत्महत्या करने वाले को एक करोड़ रूपये देते हुए शहीद का दर्जा देना शहीद का अपमान है। शहीद वो होता है जो देश हित में अपने प्राण त्याग दे या देश सेवा करते हुए कुर्बान हो जाए। अभी टीवी पर एक बहस चल रही थी। उस बहस को सुनकर मै दंग रह गया जब आत्महत्या करने वाले की तुलना शहीद चंद्रशेखर आजाद से कर दी। ये कौन सी राजनीती है? धरना प्रदर्शन में शामिल पूर्व सैनिक चिल्लाकर कह रहे थे। इस मृत्यु को लेकर राजनीती न की जाए। किन्तु यदि रोटी अच्छी सिंक रही हो तो राजनीती करने में क्या जा रहा है। सेना को भी ये समाज राजनीती के नजरिये से देखता है। जहॉ देखता है यहॉ मेरी पार्टी को फायदा हो रहा है वहॉ वो लोग यह भी नही सोंचते क्या सही है क्या गलत है? इतनी चिंता है तो क्यों सेना के कार्यों पर प्रश्नचिन्ह लगाया जाता है और सबूत मॉगे जाते हैं?
मै मानता हॅू राजनीतिक दल है तो राजनीति तो होगी किन्तु सेना और आत्महत्या को लेकर राजनीति। आत्महत्या चाहे किसी भी तबके या समाज से जुड़े व्यक्ति की हो निंदनीय है। ये किसी भी स्तर पर स्वीकार नही है। आत्महत्या करने वाले को एक करोड़ रूपये देते हुए शहीद का दर्जा देना शहीद का अपमान है। शहीद वो होता है जो देश हित में अपने प्राण त्याग दे या देश सेवा करते हुए कुर्बान हो जाए। अभी टीवी पर एक बहस चल रही थी। उस बहस को सुनकर मै दंग रह गया जब आत्महत्या करने वाले की तुलना शहीद चंद्रशेखर आजाद से कर दी। ये कौन सी राजनीती है? धरना प्रदर्शन में शामिल पूर्व सैनिक चिल्लाकर कह रहे थे। इस मृत्यु को लेकर राजनीती न की जाए। किन्तु यदि रोटी अच्छी सिंक रही हो तो राजनीती करने में क्या जा रहा है। सेना को भी ये समाज राजनीती के नजरिये से देखता है। जहॉ देखता है यहॉ मेरी पार्टी को फायदा हो रहा है वहॉ वो लोग यह भी नही सोंचते क्या सही है क्या गलत है? इतनी चिंता है तो क्यों सेना के कार्यों पर प्रश्नचिन्ह लगाया जाता है और सबूत मॉगे जाते हैं?
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