जब सरकार ने यह सूचना दी कि भारतीय सेना ने पीओके में घुसकर वहां मौजूद ‘लॉन्च पैड्स’ को तबाह करने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया, तभी से पाकिस्तान ने इसे खारिज करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। जैसी उम्मीद थी पाकिस्तान ने उसी के मुताबिक प्रतिक्रिया दी । पाकिस्तान हाँ में जवाब नहीं दे सकता क्योंकि हां में जवाब देने का मतलब होगा, वहां आतंकी कैंप मौजूद होने की बात को स्वीकार करना। जाहिर है, इसी वजह से पाकिस्तानी सरकार सर्जिकल स्ट्राइक की बात को खारिज करने में जी जान से जुटी है। सर्जिकल स्ट्राइक पाकिस्तान के लिए एक चेतावनी थी और पाकिस्तान इसे लेकर बैचेन हो उठा है। वहां पर सर्वदलीय बैठक हो रही है, उम्मीद के मुताबिक उसमें भारत की चर्चा की जा रही है। यहाँ तक की पाकिस्तान ने अपने दो व्यस्ततम एयरपोर्ट – लाहौर और कराची के एयरस्पेस को बंद करने का फैसला किया है। यह सब दर्शाता है कि भारत की कार्रवाई ने पाकिस्तान को किस कदर बौखला दिया है। यहां तक कि अपनी बात को साबित करने के लिए पाकिस्तान हमले के पांच दिन बाद कुछ विदेशी पत्रकारों को उस स्थान पर भी ले गया। निश्चित तौर पर विदेशी पत्रकारों को हमले वाली उसी जगह पर ले जाया गया होगा। पर क्या पांच दिन में हमले वाली जगह को सामान्य करने के लिए कुछ किया ही नहीं गया होगा?
पाकिस्तान से तो ऐसी ही प्रतिक्रिया की उम्मीद थी, पर कमाल हुआ जब भारत में जिस तरह से कुछ नेताओं और प्रबुद्ध वर्ग के लोगों ने सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत की मांग को लेकर हल्ला मचाया? ज्यादातर अमीर और ताकतवर लोगों का भारत में ज्यादा कुछ दांव पर नहीं लगा है, पर उनकी प्रतिक्रिया हैरान करने वाली है। सबसे घटिया बात यह है कि वे मीडिया के जरिए सरकार पर सबूत जारी करने का दबाव बना रहे हैं। अब यह सरकार को तय करना है कि उसे जारी किया जाए या नहीं। सरकार का फैसला साफ तौर पर ‘ना’ ही होना चाहिए। आखिर हम क्यों किसी के लिए कुछ भी जारी करें?
अगर कभी सबूत जारी करने का फैसला किया जाता है, तो यह भारत की कूटनीति पर ही आधारित होना चाहिए। यह देखते हुए कि भविष्य में हमारे लिए क्या सही रहेगा। सर्जिकल स्ट्राइक पर शक करने वाले लोग कभी भी संतुष्ट नहीं होंगे।
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लेखक - केशव कुमार पांडेय
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