Sachha Anand |
आज विश्व में मानसिक रोग एक बड़ी समस्या बन चुका है जिसकी जड़ में आधुनिक बाजारवाद के भौतिक सुखों के विकास का निजीकरण है। हमने आध्यात्म के सत चित आनन्द के मार्ग को भुला दिया है। अपने चित पर हमने काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार के दाग लगा लिये हैं जिससे हमारे चित पर अवगुणों का लेप लग चुका है। फलस्वरूप हम जानते हुए भी बुराई के मार्ग पर चलने के आदी होते जा रहे हैं। ईश्वर का सदचित आनन्द कहा गया हैं और व्यक्ति सच्चा आनन्द तभी पा सकता है जब वह अवगुणों को अपने चित में न धरे।
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लेखक - श्री जगदीश बत्रा लायलपुरी
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