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सच्चा आनन्द Hindi Article

Saccha Anand
Sachha Anand
आज विश्व में मानसिक रोग एक बड़ी समस्या बन चुका है जिसकी जड़ में आधुनिक बाजारवाद के भौतिक सुखों के विकास का निजीकरण है। हमने आध्यात्म के सत चित आनन्द के मार्ग को भुला दिया है। अपने चित पर हमने काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार के दाग लगा लिये हैं जिससे हमारे चित पर अवगुणों का लेप लग चुका है। फलस्वरूप हम जानते हुए भी बुराई के मार्ग पर चलने के आदी होते जा रहे हैं। ईश्वर का सदचित आनन्द कहा गया हैं और व्यक्ति सच्चा आनन्द तभी पा सकता है जब वह अवगुणों को अपने चित में न धरे। 

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Hindi Article on True Joy
लेखक - श्री जगदीश बत्रा लायलपुरी 
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