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क्या आज का समाज महिलाओं के लिए Safe है? Hindi Article on Womens Safety

Lekhak Ki Lekhni Hindi Article on Womens
Are womens safe in today society?


क्या आज का समाज महिलाओं के लिए Safe है?

समाज जिसकी जननी एक औरत है वही आज इस समाज में safe नहीं है. और आदमी जिसकी जननी भी एक औरत है, उस आदमी से भी आज वो safe नहीं है.  यह कितनी  शर्मनाक बात है कि हमारा समाज आज हमारी बहनों, माँ, बेटियों के लिए safe नहीं हैक्या आज हम इस बात से आश्वस्त हो सकते है कि हमारे घर की बहू बेटियॉ बाहर safe है. कि क्या अगर उनके साथ बाहर अगर कोई , कुछ गलत हरकत करता है तो क्या कोई उनका साथ देगा.
           
सच पूछो तो अगर कोई मुझसे से यह सवाल करेगा तो मैं इसका जवाब पूरे तरीके से “हाँ” मे़ं नहीं दे पाऊँगी क्योंकि आजकल रोज़ ऐसी खबरें आती हैं जो हमें शर्मसार कर जाती है. और हमारे ज़मीर तक को हिला डालती है.
    
आज हमारा समाज उस स्थिति में आ गया है कि चाहे वहाँ एक छोटी छः महीने की बच्ची हो या ८४ साल की वृद्ध महिला हो, चाहे घर के बाहर हो या घर में हो वह safe नहीं है. आज से कुछ दिन पहले एक समाचार आया था कि प्रीतम पूरा में एक ६ महीनें की बच्ची के साथ गलत काम किया गया. सोचने में ही यह बात कितनी भयानक लगती है.

फिर समाचार आया कि एक ८४ साल की महिला के साथ गलत काम किया गया और उसकी हत्या कर दी गई| यह तो अभी हाल की ही घटना है कि एक कॉलेज़ की छात्रा के साथ बस में एक व्यक्ति ने अश्लील हरकत की जबकि बस भरी हुई थी पर किसी ने न इसका विरोध किया न ही मदद की.

ऐसा क्यों हुआ? क्यों किसी ने उसका साथ नहीं दिया? क्या उस बस के लोगों ने यह नहीं सोचा कि कल उनके घर की लड़़की भी ऐसी बस में हो सकती है क्योंकि गलत करने वाले को कुछ न कह कर तुम उसका होसला बढा रहे हो.

क्या कारण है कि ऐसे अपराधों की संख्या बढ़ती जा रही है आज तो रिश्तों की अहमीयत भी खतम होती जा रही है. क्यों इन अपराधियों को किसी का डर नहीं है.

क्यों ऐसी स्थिति में कोई किसी का साथ नहीं देता? लोग यह क्यों नहीं समझते कि ऐसा कभी उनके अपनों के साथ भी हो सकता है तब उन्हें किसी का साथ न मिला तो क्या होगा?

वैसे तो हर लडकी को इतना हिम्मती होना चाहिए कि वो हर स्थिति का मुकाबला कर सके. परन्तु कई बार हालात ऐसे हो जाते है कि मदद की आवश्यकता पड़़ती है. और तो और आजकल स्कूलों जैसी जगहों पर भी बच्चे चाहे लड़़की हो या लड़के safe नहीं है.

क्या हम इन समस्याओं का हल ढूँढ सकते है आखिर क्यों हमारी आँखे “निभृया कांड” जैसी बड़़ी घटनाओं के बाद ही खुलती है. क्यों नहीं ऐसे अपराधों के बाद ऐसे सख्त कानून नहीं बनाए जाते कि कोई भी ऐसा गलत काम करने से पहले हज़ार बार सोचे.

ऐसा नहीं है कि इसका समाधान नहीं है समाधान हर समस्या का होता है. समस्याओं से आँखे नहीं चुरानी चाहिए उसका सामना करना चाहिए.

मैं यहाँ आपके साथ एक अनुभव बाँटना चाहती हूँ. यहाँ मैं अपनी अच्छाई या तारिफ नहीं करना चाहती, बल्कि एक तरीका बताना चाहती हूँ जिससे किसी की मदद हो सकती है.

एक बार की बात है मैं सुबह-सुबह बाज़ार सामान लेने गई मैंने अपना सामान लिया और वापस जा रही थी तभी मैंने देखा कि एक चौथी या पाँचवी class की छात्रा अपनी माँ के साथ स्कूल जा रही थी. थोड़ी दूर तो उसकी माँ उसके साथ गई पर अचानक पीछे से किसी ने उन्हें बुला लिया और वह वापिस चली गई अब वह बच्ची अकेले ही स्कूल जा रही थी तभी वहाँ अचानक एक गली के अंकल आ गए़. न तो मैं उन्हें जानती थी न उस बच्ची को. वो अंकल उस से बात करने लगे उस के गालो पर प्यार करने लगे, देखने पर ऐसा लग रहा था कि यह सब उस बच्ची को अच्छा नहीं लग रहा था. क्योंकि वह बच्ची तेज तेज आगे चलने लगी थी मुझे यह देखकर अटपटा सा लगा. सीधे जाकर तो मैं उन्हें कुछ कह नहीं सकती थी.

परन्तु मैंने एक रास्ता अपनाया, मैंने क्या किया मैं तेज चलकर उस बच्ची और उस अंकल के बीच में चलने लगी यह देखकर मुझे लगा कि उस बच्ची को भी राहत मिली और जब तक वह सड़क पार करके अपने स्कूल नहीं चली गई मैं बीच में ही चलती रही और ध्यान देने वाली यह बात थी कि मेरे बीच में चलने से वो अंकल पहले ही अपना रास्ता बदल कर चले गये थे.

यहाँ अगर वो अंकल गलत नहीं थे तो वो क्यों नहीं उस समय सामने आए जब उसकी माँ उसके साथ थी और क्यों माँ के जाने के बाद बच्ची के पास आये़. यही बात मुझे अटपटी लगी थी.
 
इस घटना को आपको बताने का कारण केवल यही है कि मान लो हम सीधे तरीके से किसी को कुछ नहीं कह सकते तो इस तरीके से हम किसी की मदद कर सकते है इसके अलावा कई बार सड़को पर, बसो में लड़कियों को गंदे गंदे कंमेट किए जाते है उन्हें छेड़ा जाता है उस समय हम उस लड़की से टाइम पूछने के या रास्ता पूछने के बहाने बात कर सकते है और अगर आपको अकेले डर लगे तो एक दो अपने दोस्तों के साथ मिलकर पूछ सकते है| और खासकर छोटे बच्चों चाहे वो लड़की हो या लड़का, उन्हें गुड टच और बेड टच के बारे में जरूर बताएं और समझाए कि अगर कोई अंकल, चौकीदार, बस कंडक्टर या कोई रिश्तेदार गलत तरीके से, गलत जगह पर टच करता है तो अपने माँ-बाप या टीचर को जरूर शिकायत करे. उन्हें विशवास दिलवाए कि डरने की कोई बात नहीं है 
      
     माँ-बाप को चाहिए कि अगर उनका बच्चा आकर उन्हें ऐसा कुछ बताता है तो उसकी बातों पर विशवास करे, चाहे किसी के बारे में ही क्यों न हो, भूलकर भी उसे न डाँटे. और ऐसे लोगों को अपने घर न आने दे और न ही उनके घर जाए.
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        एक टाइम टेबल बना लें कि बच्चा चाहे स्कूल से आए या बाहर से खेलकर उन पर नज़र रखे और हर तरीके से उनसे बात करे कि किसी ने तंग तो नहीं किया.
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     बड़े बचचो को, कॉलेज़ जाने वाले बचचो को भी अकेले रास्तों, शॉट कट रास्तों से नहीं आना चाहिए. बस और आटो पर ध्यान से बैठ़़े. अपना फोन हमेशा अपने पास रखे. फोन पर पुलिस वूमन हेलप लाइन ऩं हमेशा रखे.

       और आखिर में सबसे बड़ी बात जैसे कि हम अपनी बेटियों को बताते है वैसे ही हमें अपने बेटों को भी समझाना चाहिए कि हर लड़की की इज्जत करें. लड़कों की संगति पर ध्यान देना चाहिए कि वह कैसे लड़कों के साथ रहते है और क्या सीख रहे है.


        यह सब छोटी छोटी बातों को ध्यान में रखकर हम समाज में सुधार ला सकते है.
        यह थोड़ा मुशकिल जरूर है पर नामुमकिन नहीं है.

                                                                      
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लेखक - पूजा पटनी
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