अँधेरी काल रात में आसमान में छोटे छोटे टिमटिमाते सितारे प्रातः तीव्र गति से आने वाली सूर्य की पहली किरण के अपने पास से निकलते ही लोप हो जाते हैं । सितारे कितने छोटे ही क्यों न हो, भयानक काली रात से घबराते नहीं। ये सितारे आशा का दीप जला रहे हैं । विषम परिस्तिथयों के दबाव में भी ये सदा मुस्कराते रहते हैं ।
सितारे जानते हैं कि सूर्य के प्रकाश की किरण बड़ी तीव्र गति से आ रही है । वह सीधी रेखा में अपने लक्ष्य की और बढ़ रही है । वह तीन लाख किलोमीटर प्रतिसेकेंड की गति से सूर्य से पृथ्वी की दूरी 1350 लाख किलोमीटर लगभग साढे सात मिनट में तय कर लेती है। सितारे यह भी जानते हैं कि सूर्य में मुख्यतः हाइड्रोजन तथा हीलियम के एक-एक अणु आपस में मिलकर विस्फोट कर रहे हैं, जिससे सूर्य की सतह का तापक्रम छः करोड़ डिग्री सेंटीग्रेट हो जाता है। इसी की उर्जा से प्रकाश की किरण निकल रही है। सितारे अपनी विषम परिस्थितियों में भी जानते हैं कि देवता की तरह पूजे जाने वाली सूर्य की किरण पृथ्वी को भस्म कर सकती है यदि पृथ्वी के वायु मंडल में ओजोन परत न हो। पृथ्वी के वायु मण्डल में 10 लाख अणुओं में ओजोन के केवल 8 अणु होते हैं।
ये भी पढ़ें: आधुनिकता की चकाचौंध
ये सितारे ओजोन को बताते हैं कि तुम्हे जितना संघर्ष इन भीषण किरणों से करना पड़ रहा है। उससे अधिक संघर्ष आज एशिया में लगभग तीन करोड़ से अधिक बच्चे कर रहे हैं। इन अबोध बच्चों का अपना कोई घर परिवार नही है। ये दिन भर कूड़ा करकट उठाते हैं, जूते पालिस करते हैं, अखबार बेचते हैं तथा रात्रि को किसी पुल के नीचे या फुटपाथ पर सो जाते हैं। ऐसा क्यों हो रहा है, इससे उन्हे लगता है जब से भारत में पशु वधशालाये खुली है और हजारों पशु रोज काटे जा रहे हैं, मांसाहार बढा है और मांस के निर्यात से हम खुश हो रहे हैं, शराब की दुकाने दिन-प्रतिदिन नई-नई खुल रही है। ऐसे समाज में लोगों की दुराचार में प्रवत्ति बढ़ रही है।
ये भी पढ़ें: बापू खादी और राजनीती -Hindi Article Bapu, Khadi aur Rajneeti
कुछ लोग बच्चों को बहला फसलाकर ले जाते हैं और उनके हाथ पैर काटकर उनसे भीख मंगवाते हैं। अपना पेट भरने के लिए लोग इतना नीचे गिर चुके हैं, उन्हे भगवान से भी डर नही लगता। जब वे किसी कौडी, अपाहिज या जन्मान्ध को देखकर कहते है कि यह उसका पिछले जन्मों के कर्मों का फल है तो मुझे बड़ा दुख होता है। ये जल्लाद हमारी फूल सी जिन्दगी बर्बाद कर रहे हैं। ये लोग यह लोक तो बिगड़ रहे हैं, उनको परलोक में न्याय मिलेगा ये कैसे हो सकता है। इन लोगों का परिवार, संग साथी जो इनका साथ इस लोक में दे रहे हैं, क्या वे भी अगले जन्म में इनके साथ पापों के फल पाने में साथी होंगे, यह बात मानी नही जा सकती। इन लोगों को इसी जन्म में दंण्डित करना जरूरी है। ये लोग हमसे नशीले पदार्थ बिकवाते हैं, बदले में हमे क्या मिलता है, रूखी सूखी रोटियॉ और गालियॉ। जब हमारा वर्तमान नर्क बना दिया है तो हमारा भविष्य क्या होगा?
ये भी पढ़ें: बंद नोटों का असर
समाज में छोटे बच्चों का अपहरण तो दूसरे लोग करते हैं लेकिन गरीबी के कारण अपने ही हमे दूसरों को बेंच देते हैं। मेले में हम खो जाये तो हम किसी के घर में नौकर की तरह जिंदगी जियेंगे, यह कोई नही जानता। लड़कियों की दशा तो और भी बुरी है, उसकी तो भ्रूण में ही हत्या कर दी जाती है और यह कार्य उन्ही के अमीर माता-पिता करते हैं। गरीब माता-पिता हमें दूसरों के घरों में चौका बर्तन करने भेजते हैं, वहॉ हमारा कितना तिरस्कार और ताड़ना के साथ शोषण भी होता है, इसका अनुमान सोचा भी नही जा सकता जिस पर बीतती है, वही जानता है।
ये फुटपाथी सितारे सूरज चॉद की तरह देवता बन कर पूजे जाना नही चाहते, लेकिन इनकी यह इच्छा जरूर होती है कि अंतरिछ की छत के समान सिर ढ़कने के लिए इनके पास अपना घर हो, अपना परिवार हो। ये प्यार के भूखे हैं। इनमे से कई बच्चे महलों में जन्म लेने के बाद भी लोक- लाज के भय से सड़क पर ड़ाल दिये जाते हैं या सौतेली मॉ के अत्याचारों के कारण घर से निकाल दिए जाते हैं। ये नन्हे बच्चे अपनी पिछली जिन्दगी से अनजान हैं। इन्हे भविष्य के सपनो में गुब्बारे नही मिल पाये। केवल वर्तमान में जिन्दा रहते हैं। इनकी जिन्दगी तपस्या की जिन्दगी है।
ध्रुव तारे के समान ये नन्हे सितारे निरन्तर जूझ रहे हैं। जीवन का सत्य खोज कर अचल पद पाने के लिए अपनी टिमटिमाती लौ के सहारे प्रकाशवान हो रहे हैं। ये फुटपाथी सितारे सन्देश दे रहे हैं कि गौहत्या बन्दी और शराब बन्दी लागू न होने में भ्रस्ट विलासिता की सोच है।
ये भी पढ़ें: आधुनिकता की चकाचौंध
ये सितारे ओजोन को बताते हैं कि तुम्हे जितना संघर्ष इन भीषण किरणों से करना पड़ रहा है। उससे अधिक संघर्ष आज एशिया में लगभग तीन करोड़ से अधिक बच्चे कर रहे हैं। इन अबोध बच्चों का अपना कोई घर परिवार नही है। ये दिन भर कूड़ा करकट उठाते हैं, जूते पालिस करते हैं, अखबार बेचते हैं तथा रात्रि को किसी पुल के नीचे या फुटपाथ पर सो जाते हैं। ऐसा क्यों हो रहा है, इससे उन्हे लगता है जब से भारत में पशु वधशालाये खुली है और हजारों पशु रोज काटे जा रहे हैं, मांसाहार बढा है और मांस के निर्यात से हम खुश हो रहे हैं, शराब की दुकाने दिन-प्रतिदिन नई-नई खुल रही है। ऐसे समाज में लोगों की दुराचार में प्रवत्ति बढ़ रही है।
ये भी पढ़ें: बापू खादी और राजनीती -Hindi Article Bapu, Khadi aur Rajneeti
कुछ लोग बच्चों को बहला फसलाकर ले जाते हैं और उनके हाथ पैर काटकर उनसे भीख मंगवाते हैं। अपना पेट भरने के लिए लोग इतना नीचे गिर चुके हैं, उन्हे भगवान से भी डर नही लगता। जब वे किसी कौडी, अपाहिज या जन्मान्ध को देखकर कहते है कि यह उसका पिछले जन्मों के कर्मों का फल है तो मुझे बड़ा दुख होता है। ये जल्लाद हमारी फूल सी जिन्दगी बर्बाद कर रहे हैं। ये लोग यह लोक तो बिगड़ रहे हैं, उनको परलोक में न्याय मिलेगा ये कैसे हो सकता है। इन लोगों का परिवार, संग साथी जो इनका साथ इस लोक में दे रहे हैं, क्या वे भी अगले जन्म में इनके साथ पापों के फल पाने में साथी होंगे, यह बात मानी नही जा सकती। इन लोगों को इसी जन्म में दंण्डित करना जरूरी है। ये लोग हमसे नशीले पदार्थ बिकवाते हैं, बदले में हमे क्या मिलता है, रूखी सूखी रोटियॉ और गालियॉ। जब हमारा वर्तमान नर्क बना दिया है तो हमारा भविष्य क्या होगा?
ये भी पढ़ें: बंद नोटों का असर
समाज में छोटे बच्चों का अपहरण तो दूसरे लोग करते हैं लेकिन गरीबी के कारण अपने ही हमे दूसरों को बेंच देते हैं। मेले में हम खो जाये तो हम किसी के घर में नौकर की तरह जिंदगी जियेंगे, यह कोई नही जानता। लड़कियों की दशा तो और भी बुरी है, उसकी तो भ्रूण में ही हत्या कर दी जाती है और यह कार्य उन्ही के अमीर माता-पिता करते हैं। गरीब माता-पिता हमें दूसरों के घरों में चौका बर्तन करने भेजते हैं, वहॉ हमारा कितना तिरस्कार और ताड़ना के साथ शोषण भी होता है, इसका अनुमान सोचा भी नही जा सकता जिस पर बीतती है, वही जानता है।
ये फुटपाथी सितारे सूरज चॉद की तरह देवता बन कर पूजे जाना नही चाहते, लेकिन इनकी यह इच्छा जरूर होती है कि अंतरिछ की छत के समान सिर ढ़कने के लिए इनके पास अपना घर हो, अपना परिवार हो। ये प्यार के भूखे हैं। इनमे से कई बच्चे महलों में जन्म लेने के बाद भी लोक- लाज के भय से सड़क पर ड़ाल दिये जाते हैं या सौतेली मॉ के अत्याचारों के कारण घर से निकाल दिए जाते हैं। ये नन्हे बच्चे अपनी पिछली जिन्दगी से अनजान हैं। इन्हे भविष्य के सपनो में गुब्बारे नही मिल पाये। केवल वर्तमान में जिन्दा रहते हैं। इनकी जिन्दगी तपस्या की जिन्दगी है।
ध्रुव तारे के समान ये नन्हे सितारे निरन्तर जूझ रहे हैं। जीवन का सत्य खोज कर अचल पद पाने के लिए अपनी टिमटिमाती लौ के सहारे प्रकाशवान हो रहे हैं। ये फुटपाथी सितारे सन्देश दे रहे हैं कि गौहत्या बन्दी और शराब बन्दी लागू न होने में भ्रस्ट विलासिता की सोच है।
_________________________________________________________________________________
लेखक - श्री जगदीश बत्रा लायलपुरी
फेसबुक प्रोफाइल - https://www.facebook.com/gagdish
मोबाइल - 9958511971
पूरा प्रोफाइल - उपलब्ध नहीं
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें